Not known Details About Shodashi

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Inspiration and Empowerment: She is a symbol of toughness and bravery for devotees, specifically in the context on the divine feminine.

वास्तव में यह साधना जीवन की एक ऐसी अनोखी साधना है, जिसे व्यक्ति को निरन्तर, बार-बार सम्पन्न करना चाहिए और इसको सम्पन्न करने के लिए वैसे तो किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है फिर भी पांच दिवस इस साधना के लिए विशेष बताये गये हैं—

ध्यानाद्यैरष्टभिश्च प्रशमितकलुषा योगिनः पर्णभक्षाः ।

The Devas then prayed to her to damage Bhandasura and restore Dharma. She's believed to get fought the mom of all battles with Bhandasura – some Students are of your see that Bhandasura took numerous sorts and Devi appeared in different types to annihilate him. Ultimately, she killed Bhandasura With all the Kameshwarastra.

षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram

He was so impressive that he built your complete globe his slave. Sage Narada then requested the Devas to accomplish a yajna and from your hearth on the yajna appeared Goddess Shodashi.

The Mantra, Then again, is often a sonic illustration of your Goddess, encapsulating her essence by click here way of sacred syllables. Reciting her Mantra is thought to invoke her divine existence and bestow blessings.

ह्रीं‍श्रीर्मैं‍मन्त्ररूपा हरिहरविनुताऽगस्त्यपत्नीप्रदिष्टा

Celebrated with fervor during Lalita Jayanti, her devotees find her blessings for prosperity, wisdom, and liberation, acquiring solace in her several sorts as well as the profound rituals linked to her worship.

सावित्री तत्पदार्था शशियुतमकुटा पञ्चशीर्षा त्रिनेत्रा

॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरी अपराध क्षमापण स्तोत्रं ॥

यामेवानेकरूपां प्रतिदिनमवनौ संश्रयन्ते विधिज्ञाः

ज्योत्स्नाशुद्धावदाता शशिशिशुमुकुटालङ्कृता ब्रह्मपत्नी ।

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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