Fear Aur Dar Ko Kaise Jeetein – Tantrik Upay & Divya Sadhana - An Overview

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डर को दूर करने की प्रक्रिया की शुरुआत उसे पहचानने से होती है।

रजिस्टर करें आइए एक घटना से समझते हैं कि मन के डर को कैसे दूर कर सकते हैं?

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हालांकि अपने डर को कम करना और इस पर जीत पाना एक स्किल है जिसे कोई भी सीख सकता है लेकिन समस्या यह है कि ज्यादातर लोग अपने डर को अपने अंदर बिठा लेते हैं, क्योंकि वो मानने लगते हैं कि यह उनका ही एक हिस्सा है। अगर आप अपने डर का सामना करने के लिए तैयार नहीं हैं, तो आप इसे दूर भी नहीं कर पाएंगे और इसमें कुछ भी गलत नहीं है। हम जानते हैं हर चीज में समय लगता है।

देखिये आपने एक बात तो सुनी ही होगी की हर व्यक्ति में असीम शक्तियां होती हैं, बस उन्हें पहचानने की जरुरत होती है.

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अगर आप जानना चाहते हैं अपने डर को कैसे दूर Fear Aur Dar Ko Kaise Jeetein – Tantrik Upay & Divya Sadhana करना है तो आपको अलग रास्ता चुनना होगा, खुद को याद दिलाए आपका मन कैसे बहाने बना रहा है, चीजों को टालने के बजाय उनका सामना करें

यदि असफलता का भय न हो तो विद्यार्थी पढ़ना छोड़ देंगे। यदि आपको बीमार होने का डर न हो, तो आप अपने स्वास्थ्य की देखभाल नहीं करेंगे। इसलिए जीवन में थोड़े डर के होने की उपयोगिता को पहचानें।

ध्यान-साधना का नियमित अभ्यास आपको तनाव संबंधी सभी समस्याओं से मुक्ति दिलाता है, आपके मन को शांत करता है और आपको तरोताजा कर देता है। आर्ट ऑफ लिविंग के सहज समाधि ध्यान कार्यक्रम में आप अपने अंदर की गहराई में डूबकर अपनी असीमित संभावनाओं को प्राप्त करने में सक्षम हो जाते हैं। योग, सांस की प्रक्रियाओं और मेडिटेशन के लिए आर्ट ऑफ लिविंग के हैप्पीनेस प्रशिक्षक से सम्पर्क करें।

डर को हटाने के लिए आत्मविश्वास का होना अत्यंत जरूरी है। आत्मविश्वास बढ़ाने के कुछ असरदार तरीके:

जैसे हाथ पैंर कांपने लगना, सांस भारी हो जाना, दिल की धड़कन तेज हो जाना और कभी कभी चक्कर आ जाना. इन शारीरिक लक्षणों के साथ साथ हमारी मानसिक हालत भी कमजोर हो जाती है.

एक बार मुझे एक मीटिंग में प्रेजेंटेशन देना था, जिसके लिए मैं तैयार नहीं थी। मैं बहुत डरी हुई थी। मेरी हथेलियां पसीने से भीगी हुई थीं और मेरे दिल की धड़कन भी बहुत तेज हो रही थी। मैं ध्यान लगा कर कुछ पढ़ भी नहीं पा रही थी। मुझे पता था कि मैं डरी हुई हूँ, इतने सारे लोगों के सामने बोलने का डर मुझे सता रहा था। 

अपने डर को जज न करें। "अच्छे" या "बुरे" के रूप में तय किए बिना, आपके मन में जो भी भावनाएँ आती हैं, उन्हें स्वीकार करें।

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